— अनिल चतुर्वेदी — देश में हुए लॉकडाउन से कोरोना वायरस का फैलाव तो थमा नहीं, पर दो कड़वी हकीकत उजागर हो गईं। एक तो राजतंत्र की जनसेवा का आडंबर पूरी तरह से बिखर गया। दूसरा, चिकित्सा क्षेत्र के निजीकरण की असलियत सामने आ गई। वैसे तो कोरोना संक्रमण रोकने के लिए ही देशभर की घरबंदी की गई थी, लेकिन अनलॉक...
— जाहिद खान — कृश्न चंदर एक बेहतरीन अफसानानिगार के अलावा बहुत बड़े दानिश्वर भी थे। देश के हालात पर हमेशा उनकी गहरी नजर रहती थी। यही वजह है कि उनके अदब में देश के अहम वाकये और घटनाक्रम जाने-अनजाने आ ही जाते थे। साल 1962 में भारत-चीन के बीच हुई जंग को लेकर लिखा गया उनका छोटा सा उपन्यास ‘एक गधा नेफा में’...
- अशोक शर्मा - राजस्थान कोरोना वायरस को काबू में रखने और अर्थव्यवस्था को सुचारू बनाये रखने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद धीरे धीरे आर्थिक गतिविधियाँ शुरू हुई हैं। जाहिर है अब बदली परिस्थितियों में मुख्यमंत्री कार्यालय में फिर से हलचल देखी जा सकती है। पर जब...
— अशोक बंसल — देशभर में सरकारी और निजी अस्पतालों के संचालक कोरोना के मरीजों को आफत मान रहे हैं, लेकिन मथुरा के के.डी. मेडिकल कालेज से जुड़ा अस्पताल संकट के इस काल में लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है। शहर के जिला अस्पताल के अलावा स्थानीय प्रशासन ने दो अन्य मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को कोविड सेंटर...